भारत आतंकवाद,प्रदूषण,अतिजनसँख्या तथा अंध्विश्वास से ग्रसित सबसे बड़ा देश है! जहाँ किसी अपवाद या अंदश्रद्धा को फैलने में देर नहीं
लगता,लेकिन आज भारत के अंध्विश्वास में छुपे कुछ वैज्ञानिक कारणों की चर्चा करेंगे! अंध्विश्वास का नाम सुनकर हमारे मन में रूढ़िवादी प्रारंभिक विचार उमड़ आता है! लेकिन भारत के पौराणिक गाथाओं में रूढ़िवादी विचारों का कोई स्थान नहीं है! ये केवल मध्यकाल में ढोंगियों और गलत विचारधारा वाले मुठ्ठी भर लोग जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए किसी को अपना नहीं माना। और यह आज किसी के लिए भी सामान्य हो गया है। ऐसे विचारो को फ़ैलाने का मकसद केवल धन का लालच होता है।
भारत में ऐसे ऋषिमुनि थे जिन्होंने भारत को नई ऊर्जा से अवगत कराया। योग, जड़ीबूटियों का उपयोग, वेद, पुराण आदि ग्रंथो को लिखा जिससे दुनिया आज इसकी मदद से इतनी विकसित हो सकी। लेकिन रूढ़ियों ने अपना प्रभाव बनाया रखा।
पेड़ो पर भूतों के रहने के कारण लोग डरते थे।परन्तु यह सत्य था क्योंकि जिस कारण से किसी की मृत्यु हो जाए उसे तो भूत ही कहा जा सकता है।इस सोच को लोगों ने कुछ समय तक अंध्विश्वास ही माना, परन्तु वैज्ञानिको के शोध से हमे पता चला की ये कोई भूत के कारण होने वाली मृत्यु नहीं बल्कि ये प्रकृति में मौज़ूद कार्बनडाइऑक्सइड की मात्रा रात में पेड़ो के पास बढ़ जाना तथा ऑक्सीज़न की कमी से होने वाली मृत्यु है।
लगता,लेकिन आज भारत के अंध्विश्वास में छुपे कुछ वैज्ञानिक कारणों की चर्चा करेंगे! अंध्विश्वास का नाम सुनकर हमारे मन में रूढ़िवादी प्रारंभिक विचार उमड़ आता है! लेकिन भारत के पौराणिक गाथाओं में रूढ़िवादी विचारों का कोई स्थान नहीं है! ये केवल मध्यकाल में ढोंगियों और गलत विचारधारा वाले मुठ्ठी भर लोग जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए किसी को अपना नहीं माना। और यह आज किसी के लिए भी सामान्य हो गया है। ऐसे विचारो को फ़ैलाने का मकसद केवल धन का लालच होता है।
भारत में ऐसे ऋषिमुनि थे जिन्होंने भारत को नई ऊर्जा से अवगत कराया। योग, जड़ीबूटियों का उपयोग, वेद, पुराण आदि ग्रंथो को लिखा जिससे दुनिया आज इसकी मदद से इतनी विकसित हो सकी। लेकिन रूढ़ियों ने अपना प्रभाव बनाया रखा।
हमने पिछले ब्लॉग(https://thoughtworldin.blogspot.com/2020/01/blog-post_6.html) में जाना भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अंध्विश्वास कैसे प्रभावशाली है। इस ब्लॉग में हम कुछ ऐसी श्रद्धा जो भारत में वैज्ञानिक तर्कों पर सही है को जानेंगे।
पीपल के पेड़ या किसी अन्य पेड़ को भगवन मानकर उसकी पूजा करना। ये रिवाज केवल भारत में प्रचलित है। जिसे दुनिया के सभी देशों ने एक सन्देश के रूप में जाना। पेड़ो को जीवनदायक कहा जाता है। क्योंकि पेड़ ही है जो मनुष्यों को जीने की सबसे मूल आवश्यक्ता ऑक्सीज़न मुफ़्त में प्रदान करती है। कार्बनडाइऑक्सइड और ऑक्सीज़न की मात्रा का संतुलन बनाये रखती है। लेकिन जिस तरह मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण पेड़ो की कटाई कर रहें है। दुनिया का सर्वनाश होना निश्चित है तथा इंसान भी पृथ्वी जैसी ग्रह के खोज में लगे हुए है।
पेड़ो का पूजन करने का अर्थ पेड़ो की रक्षा करना है। पुराने समय में सोचा गया यह विचार जिससे पेड़ो को काटने से पहले लोगों के मन में यह सोच विकसित हुई की पेड़ो को काटकर हम स्वम भगवन को रुष्ठ कर रहें है। आज प्रभावशाली नहीं रही, मनुष्य तकनीक का विकास कर दुनिया को छोटी रौशनी तो दिखा रहें है। परन्तु ये हमे अंधकार के गर्त में भी ढकेल रहें हैं।
पीपल के नीचे रात में नहीं सोने की सोच ये विचार जिसे पुराने समय में
रात में नाखून नहीं काटने का पुराना विचार जो अब हमपर लागु नहीं होता है।
हज़ारो वर्ष पहले बल्ब का अविष्कार तथा बिजली की ख़ोज नहीं हुई थी। उस समय रात में बच्चों को नाख़ून नहीं काटने दिया जाता था। क्योंकि बच्चे अँधेरे या कम रौशनी वाले श्रोतो के कारण नाखून के साथ अपनी ऊँगली को भी ज़ख़्मी कर लेते थे। इसलिए उस समय रात में नाख़ून नहीं काटने की सलाह दी जाती थी। परन्तु कुछ लोग अब भी इस पुरानी विचारधारा पर चल रहें है। जबकि अभी घनघोर रौशनी करने वाले बल्ब और 24 घंटा आने वाली बिजली है। जिससे ये सलाह आज के समय प्रभावशाली नहीं है।
भारत के अंध्विश्वास में छुपे वैज्ञानिक कारण
Reviewed by vikas kumar
on
7:41 am
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